Salasar Balaji Live Darshan
Oct 15, 2020
सालासर में स्थित अंजनी माता का प्रसिद्ध मंदिर केवल राजस्थान ही नहीं पूरे भारत के श्रद्धालुओं का प्रमुख तीर्थस्थल है। श्री अञनी माता का मन्दिर सालासर धाम से लक्षमनगढ जाने वाली रोड पर लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर में माँ की जो मूर्ति स्थापित है उसमें हनुमानजी अपने बालरूप में माता की गोद में बैठे हैं। अपने चतुर्भुजी आदमकद रूप में अंजनी माता शंख और सुहाग-कलश धारण किए हैं यहां एक साथ ही बालाजी हनुमान और उनकी माँ अंजनी की पूजा-अर्चना की जा सकती है। कहते है कि जो सालासर आकर इन दोनों की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है। उसकी प्रत्येक मनोकामना पूरी होती है।
मन्दिर के संस्थापक श्री पन्नारामजी पारीक थे। इनकी पत्नि का युवावस्था में निधन हो गया। फ़िर वह प्रयाग चले गये और वहाँ गंगा तट पर ध्यान व पूजन अर्चन करने लगे। एक दिन हनुमानजी ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर, स्वप्न में दर्शन दे कर आदेश दिया कि तुम मेरे धाम सालासर आ जाओ। सालासर धाम में वह परोपकारी भावना से प्रेरित होकर पथिकों को शीतल जल पिलाकर उनकी थकान को मिटाने लगे। साथ ही वे अंजनीनन्दन व अंजनीमाता की सेवा भक्तिभाव से करते हुये उनके ही ध्यान में निमग्न रहने लगे। सन्१९६३ में सीकर नरेश ने पन्डित जी के कहे अनुसार मन्दिर का जीर्णोद्धार कराया। अंजनी माता मंदिर की विशेष प्रसिद्धि सुहागन स्त्रियों और नवविवाहितों की मनोकामना सिद्धि लिए है। सुहागन स्त्रियां यहां आकर अपने वैवाहिक और पारिवारिक जीवन की सफलता के लिए नारियल और सुहाग चिन्ह चढ़ाती हैं।
दूर-दूर से लोग विवाह का पहला निमंत्रण पत्र मंदिर में जमा करते हैं। ताकि अंजनी माता की कृपा से न केवल विवाह सफल हो बल्कि नवविवाहित को सभी प्रकार का सुख मिले।